भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।। कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।। कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत